छाए रोके कोई, हो कितने भी आलोचक,
जो न समझे थे वो न समझेंगे कभी,
जो साथ चले उनका भी साथ छूट जाएगा कभी,
मेरे पंखो की क्षमता को छाए दे कितनी भी चुनौती,
बाधाओं की कितनी भी सीडियां कोई कर दे खड़ी।
ये रास्ता है लम्बा, अनजान, है अड़चने भी,
राह है टेढ़ी मगर, दृण्डनता है मुझमे भी,
मुझे लड़ना है, न रुकना कभी, बस आगे ही बढ़ना है,
है उड़ान मेरी लम्बी बहुत,लहरो सी अनंत,
अपने मन्न और विवेक की मैं खुद ही हूँ स्थिरक।
चिड़ियाँ हूँ वो जिसको न कर पाओगे कैद,
अवरोध से करके दोस्ती बना लुंगी रास्ता कोई नया,
मंज़िल दूर सही पर मैं असमर्थ नहीं,
उतसाहित है पंख मेर, इस उड़ान को अब भरना है,
तेज़ रफ़्तार से बस उड़ते ही जाना है।